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डा. जांगिड़ ने विभिन्न पक्षों पर वीरेंद्र सिंह चौहान से की चर्चा

09 जनवरी 2010
प्रस्तुति: रोशन,चेतन व प्रवीण
गैर औषधियों का उपयोग किए भौतिक साधनों के प्रयोग से शारीरिक व्याधियों का उपचार करने की विधि को फिजियोथिरैपी या भौतिक चिकित्सा कहते हैं। भारत में साठ के दशक में प्रारंभ हुई इस चिकित्सा पद्धति की शुरूआत दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई मानी जाती है। यह पूर्णतया वैज्ञानिक पद्धति है और अब अधिकांश मेडिकल कॉलेजों में भी इसकी पढ़ाई होने लगी है। यह कहना है स्थानीय सिविल अस्पताल में तैनात फिजियोथिरैपिस्ट डा. कमल जांगिड़ का। डा. जांगिड़ हैलो सिरसा कार्यक्रम में सामुदायिक रेडियो के केंद्र निदेशक वीरेंद्र सिंह चौहान के साथ इस पद्धति के विभिन्न पक्षों पर चर्चा कर रहे थे। सवाई मान सिह मेडिकल कॉलेज जयपुर के स्नातक डा. जांगिड़ करीब दो दशक से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि फिजियोथिरैपी में डिग्री प्राप्त करने वाले स्नातकों के लिए रोजगार के अवसरों की कोई कमी नहीं है। सरकारी क्षेत्र में भले ही अवसर सीमित हों, मगर निजि क्षेत्र में सक्षम फिजियोथिरैपिस्ट अभी पर्याप्त संख्या में नहीं है। इसके अलावा यह डिग्री अमरीका व कनाडा सहित कई पश्चिमी देशों में नौकरी के द्वार खोलने का सामथ्र्य रखती है। प्रस्तुत है डा. जांगिड़ व वीरेंद्र सिंह चौहान के मध्य हुई बातचीत के चुनींदा अंश :
भौतिक चिकित्सा क्या है? यह एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसमें रोगी का इलाज बिना दवा के भौतिक वस्तुओं,मशीनों व व्यायाम द्वारा किया जाता है। इसमें बिजली से लेकर लेजर तक कई साधनों का उपयोग होता। यह बहुत विकसित विज्ञान की रूप ले चुका है। इसमें ध्यान रखने योग्य बात यही है कि किसी अनुभवी चिकित्सक से ही फिजियोथिरैपी करानी चाहिए।जरा सी लापरवाही के कारण हमें जिंदगी 5ार परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
भौतिक चिकित्सा का इतिहास क्या है? दूसरे विश्व युद्ध के पीडि़त फौजियों व आमजन के पुनर्वास के लिए वैज्ञानिकों द्वारा इस पद्धति की खोज की गई। भारत में उन्नीस सो बासठ से इसका विकास आरंभ हुआ। सभर के दशक में इसकी पढ़ाई शुरू हुई जबकि अस्सी के दशक में इसका बहुत तेजी से विकास हुआ। औपचारिक शिक्षा के नाम पर पहले डिप्लोमा प्रारंभ हुआ। परन्तु कुछ समय बाद डिप्लोमा बंद कर दिया गया। इसलिए इसकी डिग्री भी साढे चार साल की कर दी गई। परन्तु इसकी अब तक इस क्षेत्र पर निगरानी व नियंत्रण के लिए कोई वैधानिक परिषद नहीं है। ऐसी एक परिषद इस साल अस्तित्व में आने की संभावना है।
इस पद्धति में किन-किन बीमारियों का समाधान है? बदलती जीवनशैली के कारण नई-पई बीमारियां उत्पन्न हो रही है। जिस कारण आज हर इन्सान को भौतिक चिकित्सक की जरूरत है। अगर जटिल बीमारियों की बात की जाए तो जोड़ों का दर्द, कंधे का दर्द, लकवा, ब्रेन अटैक जैसी भयानक बीमारीयों का इलाज बिना दवा के संभव है। अधिकांश व्याधियों में आयु अनुसार व्यायाम सुझाए जाते हैं।
आम जन को दैनंदिन जीवन में सेहत के लिहाज से क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए? रोजमर्रा की व्यस्त दिनचर्या के कारण बिगड़ रहे स्वास्थय से बचाव के लिए हमे यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सुबह जल्दी उठें व ज्यादा पानी पीऐं। कसरत को दिनचर्या मे शामिल करें। महीने मे दो उपवास अवश्य रखें। निरंतर प्राणायाम करें व दिन मे न सोएं। कामकाज के समय अपने आसन का विशेष ध्यान रखें। सोने के लिए फोम वाले गद्दों के प्रयोग से परहेज करें। इस प्रकार के उपायों से हम स्वस्थ जीवन की आशा कर सकते हैं।

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